Friday 13 January 2012

काग्रेस सरकार जिन्दाबाद..

एक आदमी ने मछली पकडी और घर लाया,
घर मेँ ना तेल था ना आटा,
ना गैस था ना लकडी,
ना मसाला ना मिर्च, उसने वापस मछली को नदी मे छोड दिया , नदी मे पहुचते ही मछली चिल्लायी...
काग्रेस सरकार जिन्दाबाद..
काग्रेस सरकार जिन्दाबाद..

Monday 9 January 2012

ईश्वर के हाथ

गुरु और शिष्य रेगिस्तान से गुज़र रहे थे. गुरु यात्रा में हर क्षण शिष्य में आस्था जागृत करने के लिए ज्ञान देते रहे थे.
“अपने समस्त कर्मों को ईश्वर को अर्पित करदो” – गुरु ने कहा – “हम सभी ईश्वर की संतान हैं और वह अपने बच्चों को कभी नहीं त्यागते”.
रात में उन्होंने रेगिस्तान में एक स्थानपर अपना डेरा जमाया. गुरु ने शिष्य से कहा कि वह घोड़े को निकट ही एक चट्टान से बाँध दे.
शिष्य घोड़े को लेकर चट्टान तक गया. उसे दिनमें गुरु द्वारा दिया गया कोई उपदेश याद आ गया. उसने सोचा – “गुरु संभवतः मेरी परीक्षा ले रहे हैं. आस्था कहती है कि ईश्वर इस घोड़े का ध्यान रखेंगे”.
और उसने घोड़े को चट्टान से नहीं बाँधा.
सुबह उसने देखा कि घोड़ा दूर-दूर तक कहीं नज़र नहीं आ रहा था.
उसने गुरु से जाकर कहा – “आपको ईश्वर के बारे में कुछ नहीं पता ! कल ही आपने बताया था कि हमें सब कुछ ईश्वर के हांथों सौंप देना चाहिए इसीलिए मैंने घोड़े की रक्षा का भर ईश्वर पर डाल दिया लेकिन घोड़ा भाग गया!”
“ईश्वर तो वाकई चाहता था किघोड़ा हमारे पास सुरक्षित रहे” गुरु ने कहा – “लेकिन जिस समय उसने तुम्हारे हांथों घोड़े को बांधना चाहा तब तुमने अपने हांथों को ईश्वर को नहीं सौंपा और घोड़े को खुला छोड़ दिया.

Saturday 7 January 2012

आयुर्वेद हमारा है और रहेगा

एक नए ब्लागर के लिए लिखने से अधिक पढ़ना सुविधाजनक होता है.
हिंदी में टिप्पणी करना भी अभी कठिन है.
इस ब्लाग की एक फालोअर हैं डा. दिव्या जी.
उनके ब्लाग पर पढ़ा कि आयुर्वेद के शोध का पेटेंट विदेशी करा रहे हैं.
हमारा कोहेनूर जा चुका है और अब जो बचा है वह भी हाथ से निकलता जा रहा है.
अमरीका में योग का प्रशिक्षण स्कूलों में दिया ही जा रहा है.
चीज हमारी है और लाभ विदेशी उठा रहे हैं.
यह सचमुच चिंता जनक बात है.
उनके ब्लाग का यूआरएल यह है
http://zealzen.blogspot.com/2012/01/blog-post_04.html

ब्लागों को पढ़ते पढ़ते एक और ब्लाग पर नजर पड़ी. उस पर भी आयुर्वेद के प्रति चिंता व्यक्त की गई थी. इसे एक विदेशी हमले के रूप में देखा जाना चाहिए परंतु ब्लाग लिखने वाले मनोरंजन में ज्यादा रूचि रखते हैं और राष्ट्र हित के इस मुददे पर वैसी चिंता देखने में नहीं आई जैसी कि आनी चाहिए थी. हमारी कमजोरी यही है. हमें इसे दूर करना होगा और अन्याय के विरूद्ध मत और जाति से ऊपर उठकर एकजुट विरोध करना होगा.

रचना जी के ब्लाग पर पढ़ा कि शाकाहारी भोजन के लिए अब भोजनालय खोलने में रेस्टोरेंट वालों को लाभ नजर आ रहा है.

शाकाहारी रेस्टोरेंट खोलने वालों की भांति आयुर्वेद से शुद्ध लाभ कमाने वाली कंपनियों को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए. यह नहीं कि धन कमाने के अलावा अपना कर्तव्य कुछ भी याद न रखा जाए.

Monday 2 January 2012

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें , हम सभी के हृदय में करूणा और कोमल भावों की अभिवृद्धि हो!!

भँवरे फिर से मँडरायेंगे,
गुन-गुन गुंजार सुनायेंगे,
खिल जाएँगे फिर सरस-सुमन,
हँस-हँस मकरन्द लुटाएँगे,

ऐसा ही हो , यही मंगल कामना है ।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

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Gareeb ko do.
Harek de ,
Sarkar bhi de
aur ham bhi den